जब से मिला तू सांवरे,
किस्मत संवर गई,
मेरी अंधेरी जिंदगी,
अब रोशन हो गई,
जब से मिला तू साँवरे,
किस्मत संवर गई।।
खेता रहा हूँ नाव मैं,
पतवार के बिना,
जन्मो जन्म का सांवरे,
तेरा दास मैं बना,
तेरी दया से अब मेरी,
हालत सुधर गई,
जब से मिला तू साँवरे,
किस्मत संवर गई।।
खाता रहा हूँ ठोकरे,
दर दर कि मैं सदा,
हाथों को तूने थाम के,
चलना सिखा दिया,
तूने दिखाई राह तो,
मंजिल ही मिल गई,
जब से मिला तू साँवरे,
किस्मत संवर गई।।
बाबा कभी ना छोड़ना,
अब साथ ये मेरा,
यूँ ही सदा तू थामना,
अब हाथ ये मेरा,
तेरी मेहर से ‘हर्ष’ की,
बगियाँ निखर गई
जब से मिला तू साँवरे,
किस्मत संवर गई।।
जब से मिला तू सांवरे,
किस्मत संवर गई,
मेरी अंधेरी जिंदगी,
अब रोशन हो गई,
जब से मिला तू साँवरे,
किस्मत संवर गई।।
स्वर – संजय मित्तल जी।