बिन पैसे संसार चले ना,
सुनो सांवरे गिरधारी,
पैसे की इज्जत भारी,
पैसे से ही कुटुंब कबीला,
पैसे की रिश्तेदारी,
बिन पैंसे संसार चले ना,
सुनो सांवरे गिरधारी,
पैसे की इज्जत भारी।।
क्या होगा आगे आगे,
ये समय आ गया है कैसा,
माना के भगवान नहीं पर,
उससे कम भी नहीं पैसा,
बिन पैसे के कदर करे ना,
घर में बच्चे और नारी,
पैसे की इज्जत भारी,
बिन पैंसे संसार चले ना,
सुनो सांवरे गिरधारी,
पैसे की इज्जत भारी।।
जनम से लेकर अंत समय तक,
पैसा बहुत जरुरी है,
इस कलयुग में पैसे के बिन,
जीना तो मज़बूरी है,
पैसा आज जरूत सबकी,
ऋषि मुनि या ब्रम्हचारी,
पैसे की इज्जत भारी,
बिन पैंसे संसार चले ना,
सुनो सांवरे गिरधारी,
पैसे की इज्जत भारी।।
सब कुछ पाकर भी इंसा,
हार जाए आगे पैसे के,
कब तक और कहाँ कहाँ नहीं,
पीछे भागे वो पैसे के,
इंसा की अब कदर नहीं और,
पैसा सब पर है भारी,
पैसे की रिश्तेदारी,
बिन पैंसे संसार चले ना,
सुनो सांवरे गिरधारी,
पैसे की इज्जत भारी।।
‘भीमसेन’ कहे सुनो सांवरे,
पैसे में वो आकर्षण,
पैसे वालो को तो भगवन,
झट पट होते है दर्शन,
बिन पैसे तो पूजन अर्चन,
भजन करे ना परचारी,
पैसे की इज्जत भारी,
बिन पैंसे संसार चले ना,
सुनो सांवरे गिरधारी,
पैसे की इज्जत भारी।।
बिन पैसे संसार चले ना,
सुनो सांवरे गिरधारी,
पैसे की इज्जत भारी,
पैसे से ही कुटुंब कबीला,
पैसे की रिश्तेदारी,
बिन पैंसे संसार चले ना,
सुनो सांवरे गिरधारी,
पैसे की इज्जत भारी।।
स्वर – मोना मेहता जी।
प्रेषक – श्याम जी
7905942995