मैं तो गिरधर के गुण गाऊं,
गिरधर म्हारो साचौं प्रीतम,
गिरधर म्हारो साचौं प्रीतम,
देखत रुप लुभाऊं,
के मै तो गिरधर के गुण गाऊं।।
रैन पडे तब हीं उठ जाऊँ,
रैन पडे तब हीं उठ जाऊँ,
भौर भये उठ आऊं,
के मै तो गिरधर के गुण गाऊं।।
रैन दिना बांके संग खेलूं,
रैन दिना बांके संग खेलूं,
जयूं तयूं मै रिझाऊं,
के मै तो गिरधर के गुण गाऊं।।
जो पहिरावै सौ मै पहिरू,
जो पहिरावै सौ मै पहिरू,
जो देवें सो खाऊं,
के मै तो गिरधर के गुण गाऊं।।
मेरी उनकी प्रीत पुरानी,
मेरी उनकी प्रीत पुरानी,
उन बिन पल ना रहाऊं,
के मै तो गिरधर के गुण गाऊं।।
जहाँ बिठावे उतहीं बैठू,
जहाँ बिठावे उतहीं बैठू,
बेचें तो बिक जाऊँ,
के मै तो गिरधर के गुण गाऊं।।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर,
मीरा के प्रभु गिरधर नागर,
बार बार बलि जाऊँ,
के मै तो गिरधर के गुण गाऊं।।
मैं तो गिरधर के गुण गाऊं,
गिरधर म्हारो साचौं प्रीतम,
गिरधर म्हारो साचौं प्रीतम,
देखत रुप लुभाऊं,
के मै तो गिरधर के गुण गाऊं।।
– गायक एवं प्रेषक –
मास्टर लोकेश शर्मा(लड्डू)
08837686941