कहे तो कहे किससे,
श्याम तेरे सिवा,
सुनता नहीं है कोई,
तेरे सिवा,
कहें तो कहें किससे,
श्याम तेरे सिवा।।
तर्ज – जियें तो जियें कैसे।
तेरे बिना दूजा कोई,
अपना ना लगता है,
हम को तो तू ही,
हमदर्द दिखता है,
दिल में दबी है,
जितनी भी बाते,
मिलती तसल्ली,
तुमको बता के,
कहें तो कहें किससे,
श्याम तेरे सिवा।।
हाले दिल जिनको भी,
अपना बताते है
दास्तां अपनी वो,
पहले सुनाते है,
खुद की ही उलझन में,
उलझा ज़माना,
कौन सुने है रोता फसाना,
कहें तो कहें किससे,
श्याम तेरे सिवा।।
कहने को तो अपना हमें,
कहते लोग सारे है,
पर तू ही बांटता,
सुख दुख हमारे है,
‘सोनू’ ना करते,
परवाह जहाँ की,
तुमको खबर है,
इतना ही काफ़ी,
कहें तो कहें किससे,
श्याम तेरे सिवा।।
कहे तो कहे किससे,
श्याम तेरे सिवा,
सुनता नहीं है कोई,
तेरे सिवा,
कहें तो कहें किससे,
श्याम तेरे सिवा।।
स्वर – राजू मेहरा जी।