कृपा करो हम पे श्यामसुंदर,
हे भक्तवत्सल कहाने वाले,
तुम्हीं हो धनुश के चलाने वाले,
तुम्हीं हो मुरली बजाने वाले,
कृपा करों हम पे श्यामसुंदर,
हे भक्तवत्सल कहाने वाले।।
तुम्हें पुकारा था द्रौपदी ने,
बचाया प्रहलाद को तुम्हीं ने,
तुम्हीं हो खम्भे में आने वाले,
तुम्हीं हो साड़ी बढाने वाले,
कृपा करों हम पे श्यामसुंदर,
हे भक्तवत्सल कहाने वाले।।
तुम्हीं ने ब्रज से प्रलय हटाया,
समुद्र में भी सेतु भी बनाया,
ऐ जल पे पत्थर तैराने वाले,
ऐ नख पे गिरवर उठाने वाले,
कृपा करों हम पे श्यामसुंदर,
हे भक्तवत्सल कहाने वाले।।
इधर सुदामा गरीब ब्राम्हण,
उधर दुखी दीन था विभीषण,
उसे भी लंका दिलाने वाले,
इसे त्रिलोकी लुटाने वाले,
कृपा करों हम पे श्यामसुंदर,
हे भक्तवत्सल कहाने वाले।।
ऐ कोशिलासुत यशोदानंदन,
अधीन दुःख ‘बिन्दु’ के निकंदन,
छुड़ा दो मेरे भी जग के बंधन,
ऐ गज के फंदे छुड़ाने वाले,
कृपा करों हम पे श्यामसुंदर,
हे भक्तवत्सल कहाने वाले।।
कृपा करो हम पे श्यामसुंदर,
हे भक्तवत्सल कहाने वाले,
तुम्हीं हो धनुश के चलाने वाले,
तुम्हीं हो मुरली बजाने वाले,
कृपा करों हम पे श्यामसुंदर,
हे भक्तवत्सल कहाने वाले।।
नोट – इस भजन को “ज़िहाल-ए-मस्कीं” तर्ज भी गाया जा सकता है।