कुदरत का करिश्मा है,
यही बेटी यही माँ है,
संसार में बेटी की,
नहीं कोई तुलना है,
कुदरत का करीश्मा है,
यही बेटी यही माँ है।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा।
कोई अच्छे कर्म हो तो,
बेटी बना आती है,
जिस घर में जाती है,
लक्ष्मी कहलाती है,
लक्ष्मी के आने से,
अब ना क्यों करना है,
संसार में बेटी की,
नहीं कोई तुलना है,
कुदरत का करीश्मा है,
यही बेटी यही माँ है।।
बेटे की चाह जिन्हें,
बेटी को भी आने दो,
शेरों की तरह इनको,
शेरनी कहलाने दो,
शेरनी का काम ही तो,
शेरों को जनना है,
संसार में बेटी की,
नहीं कोई तुलना है,
कुदरत का करीश्मा है,
यही बेटी यही माँ है।।
कहे ‘मन्नू’ बेटे से,
बेटी नहीं कम होती,
बेटा गर हीरा है,
तो बेटी है मोती,
हे कन्यादान बड़ा,
वेदों का कहना है,
संसार में बेटी की,
नहीं कोई तुलना है,
कुदरत का करीश्मा है,
यही बेटी यही माँ है।।
कुदरत का करिश्मा है,
यही बेटी यही माँ है,
संसार में बेटी की,
नहीं कोई तुलना है,
कुदरत का करीश्मा है,
यही बेटी यही माँ है।।
स्वर – पिंटू जी शर्मा।