गिरतों को जिसने संभाला,
ऐसा है अंजनी लाला,
पवनसुत बालाजी,
पवनसुत बालाजी,
सच्चा है दरबार मेरे बालाजी का,
मिलता है प्यार मेरे बालाजी का।।
कामखेड़ा में जो भी,
आशा लेके आते हैं
उन भक्तों की बाबा,
बिगड़ी बनाते हैं,
किस्मत का खोलेंगे ताला,
ऐसा है अंजनी लाला,
पवनसुत बालाजी,
पवनसुत बालाजी,
सच्चा है दरबार मेरे बालाजी का,
मिलता है प्यार मेरे बालाजी का।।
भूत प्रेतों से यहाँ,
पीछा छुड़ा लो रे,
कैसा भी हो संकट,
फंद कटा लो रे,
खुश कर देगा बजरंग बाला,
ऐसा है अंजनी लाला,
पवनसुत बालाजी,
पवनसुत बालाजी,
सच्चा है दरबार मेरे बालाजी का,
मिलता है प्यार मेरे बालाजी का।।
बालाजी के नाम की तो,
महिमा अपार है,
युग युग से ये तो,
करे चमत्कार है,
सबसे ही है जो निराला,
ऐसा है अंजनी लाला,
पवनसुत बालाजी,
पवनसुत बालाजी,
सच्चा है दरबार मेरे बालाजी का,
मिलता है प्यार मेरे बालाजी का।।
बालाजी के चरणो से,
प्रीत लगा लो रे,
अपने जनम को,
सफल तुम बना लो रे,
कर देगा मेहर मतवाला,
ऐसा है अंजनी लाला,
पवनसुत बालाजी,
पवनसुत बालाजी,
सच्चा है दरबार मेरे बालाजी का,
मिलता है प्यार मेरे बालाजी का।।
गिरतों को जिसने संभाला,
ऐसा है अंजनी लाला,
पवनसुत बालाजी,
पवनसुत बालाजी,
सच्चा है दरबार मेरे बालाजी का,
मिलता है प्यार मेरे बालाजी का।।
स्वर – रामकुमार जी लख्खा।