हठ पकड़े नंदलाला,
मैया री मोहे चंदा ला दे,
चँदा ला दे चँदा ला दे चँदा ला दे,
हठ पकडे नँदलाला,
मैया री मोहे चँदा ला दे।।
मात यशोदा बोली लाला,
ना रो मेरे होते,
हाय कैसी लाल भई है,
अँखियाँ रोते रोते,
हठ पकडे नँदलाला,
मैया री मोहे चँदा ला दे।।
चँदा मामा दूर बसे है,
कैसे लेकर आऊँ,
फिर भी तू ना माने तो मैं,
थाली में दिखलाऊँ,
हठ पकडे नँदलाला,
मैया री मोहे चँदा ला दे।।
इतना कहकर मात यशोदा,
थाली लेकर आई,
पानी भरकर दिखलाई है,
चँदा की परछाई,
हठ पकडे नँदलाला,
मैया री मोहे चँदा ला दे।।
कृष्ण कन्हैया खुश होकर के,
लगे बजाने ताली,
मैया के बेहकावे में आ,
फसे है मायाधारी,
हठ पकडे नँदलाला,
मैया री मोहे चँदा ला दे।।
हठ पकड़े नंदलाला,
मैया री मोहे चंदा ला दे,
चँदा ला दे चँदा ला दे चँदा ला दे,
हठ पकडे नँदलाला,
मैया री मोहे चँदा ला दे।।
स्वर – जया किशोरी जी।