मेरा श्याम सलौना है,
सारे जग से न्यारा है,
मेरा मुझमें कुछ भी नहीं,
ये सब कुछ तुम्हारा है,
मेरा श्याम सलोना है,
सारे जग से न्यारा है।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा।
मेरे मन के मन्दिर में,
तेरी ज्योत जलाऊं मैं,
तेरे चरणों में आके,
नित शीश झुकाऊं मैं,
तू शीश का दानी है,
हारे का सहारा है,
मेरा मुझमें कुछ भी नहीं,
ये सब कुछ तुम्हारा है,
मेरा श्याम सलोना है,
सारे जग से न्यारा है।।
मेरे जीवन में बाबा,
जो कुछ है तुम्हारा है,
सारे जग का मालिक तू,
तू पालनहारा है,
सारी दुनिया से हारा,
बस तेरा सहारा है,
मेरा मुझमें कुछ भी नहीं,
ये सब कुछ तुम्हारा है,
मेरा श्याम सलोना है,
सारे जग से न्यारा है।।
जब कोई नहीं आता,
तू दौड़ के आता है,
अंधियारे रस्ते में,
तू राह दिखाता है,
तूफान में कश्ती है,
बड़ी दूर किनारा है,
मेरा मुझमें कुछ भी नहीं,
मेरा मुझमें कुछ भी नहीं,
ये सब कुछ तुम्हारा है,
मेरा श्याम सलोना है,
सारे जग से न्यारा है।।
मेरा श्याम सलौना है,
सारे जग से न्यारा है,
मेरा मुझमें कुछ भी नहीं,
ये सब कुछ तुम्हारा है,
मेरा श्याम सलोना है,
सारे जग से न्यारा है।।
– स्वर तथा रचना –
मयंक सोनी बीकानेर।
Ph. 9414324964
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