माँ मैं तेरी कठपुतली,
तेरा हुक्म बजाऊंगी,
तू डोर हिलाना मावड़ी,
मैं नाच दिखाऊगी,
माँ मै तेरी कठपुतली।।
मेरा वजूद कुछ नहीं,
मैं जड़ हूँ मावड़ी,
माँ तेरे एक इशारे पे,
चेतन हो जाऊंगी,
तू डोर हिलाना मावड़ी,
मैं नाच दिखाऊगी,
माँ मैं तेरी कठपुतली।।
मेरी नकेल तो,
तेरे हाथों में है मईया,
तू चाहे जिधर घुमा ले,
मैं घूम जाऊंगी,
तू डोर हिलाना मावड़ी,
मैं नाच दिखाऊगी,
माँ मैं तेरी कठपुतली।।
तेरे ‘हर्ष’ को दरबार में,
जितना नचा लेना,
दुनिया में नहीं नचाना,
मैं थिरक ना पाऊँगी,
तू डोर हिलाना मावड़ी,
मैं नाच दिखाऊगी,
माँ मैं तेरी कठपुतली।।
माँ मैं तेरी कठपुतली,
तेरा हुक्म बजाऊंगी,
तू डोर हिलाना मावड़ी,
मैं नाच दिखाऊगी,
माँ मैं तेरी कठपुतली।।
स्वर – सौरभ मधुकर