भगती योग ने ग्यान वैरागा,
अरे सिलवार नीर मोई रे मन रे,
एडा सतगुरु जोई ए हा।।
अरे पर उपकारी सदा इतकारी,
निसरीया जग रे मोई ए हा,,
दे उपदेश दया कर दाता,
अरे दे उपदेश दया कर दाता,
जन्म मरण मुख दोई रे मन रे,
एडा सतगुरु जोई ए हा।।
ए दे अभिमान थे करो अर्पण,
रजु मात्रणा होई ए हा,
अरे समदृष्टी सराखो देखे,
समदृष्टी सराखो देखे,
ए क्या फिकर क्या होई रे मन रे,
एडा सतगुरु जोई ए हा।।
ए परनिन्दीया स्तुति दोनो,
अमे हरक सोकना होई ए हा,
दिनदयाल दयारो सागर,
अरे दिनदयाल दयारो सागर,
अरे जुपारो धोई रे मन रे,
भक्ति योग ने ग्यान वैरागा,
अरे सिलवार नीर मोई रे मन रे,
एडा सतगुरु जोई ए हा।।
ए केवे कबीर संतों कोई मिलना,
अरे लागे जग रे माई ए हा,
पारस भवर सदन सतसंगत,
पारस भवर सदन सतसंगत,
अरे एडा करले मोई रे मन रे,
भगती योग ने ग्यान वैरागा,
अरे सिलवार नीर मोई रे मन रे,
एडा सतगुरु जोई ए हा।।
भक्ति योग ने ग्यान वैरागा,
अरे सिलवार नीर मोई रे मन रे,
एडा सतगुरु जोई ए हा।।
स्वर – शंकर टाक जी,
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818