श्री राधे मोहे बृज को बनइयो मोर,
नाचूँ ता ता थई थई,
ता ता थई थई,
मैं नाचूँ ता ता थई थई,
श्यामा जू मोहे बृज को बनइयो मोर,
नाचूँ ता ता थई थई।।
चाहे मुझे कुंजन को बन्दर बनइयो,
चाहे मुझे कुंजन को बन्दर बनइयो,
बन्दर भी निधिवन के अन्दर बनइयो,
बन्दर भी निधिवन के अन्दर बनइयो,
गोकुल को बनइयो ढोर,
नाचूँ ता ता थई थई,
श्यामा जू मोहे बृज को बनइयो मोर,
नाचूँ ता ता थई थई।।
चाहे मुझे गलियन को कुकर बनइयो,
चाहे मुझे गलियन को कुकर बनइयो,
कुकर बनइयो भक्त द्वारन फिरइयो,
कुकर बनइयो भक्त द्वारन फिरइयो,
वन में घुसने ना दूँ चोर,
नाचूँ ता ता थई थई,
श्यामा जू मोहे बृज को बनइयो मोर,
नाचूँ ता ता थई थई।।
चाहे मुझे धूल हु बनइयो वृन्दावन की,
चाहे मुझे धूल हु बनइयो वृन्दावन की,
श्री वृन्दावन की बिहारी के चरण की,
श्री वृन्दावन की बिहारी के चरण की,
जहाँ खेलें नित्य किशोर,
नाचूँ ता ता थई थई,
श्यामा जू मोहे बृज को बनइयो मोर,
नाचूँ ता ता थई थई।।
चाहे मुझे घुंगरुं या पायल बनइयो,
चाहे मुझे घुंगरुं या पायल बनइयो,
अपने ही रस का पागल बनइयो,
अपने ही रस का पागल बनइयो,
तेरे बंधू प्रेम की डोर,
नाचूँ ता ता थई थई,
श्यामा जू मोहे बृज को बनइयो मोर,
नाचूँ ता ता थई थई।।
श्री राधे मोहे बृज को बनइयो मोर,
नाचूँ ता ता थई थई,
ता ता थई थई,
मैं नाचूँ ता ता थई थई,
श्यामा जू मोहे बृज को बनइयो मोर,
नाचूँ ता ता थई थई।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र महाराज जी।