वक्त का पहिया चलता जाये,
हमको ये बतलाये,
समय क्या आ गया है,
कलयुग का ये खेल निराला,
पग पग में दिखलाए,
समय क्या आ गया है,
समय क्या आ गया है।।
तर्ज – मिलो ना तुम तो हम।
चेले गुरु में पाया,
मतलब का ही सब भेष है,
पग पग में स्वारथ मिलता,
पल पल में चलता यहाँ केश है,
एकलव्य की बात पुरानी,
नहीं वो द्रोण से ज्ञानी,
समय क्या आ गया है,
समय क्या आ गया है।।
राम और श्रवण का मिलना,
गुजरे ज़माने वाली बात है,
भरत शत्रुघन से भाई,
मिलना नसीबों वाली बात है,
बेटा बाप को आँख दिखाए,
भाई पे रोब जमाए,
समय क्या आ गया है,
समय क्या आ गया है।।
धन भोजन और नारी,
तीनो ही में पर्दा हुआ करता था,
ना उघड़ जाए पल भर,
सोच के दिल ये डरा करता था,
बैठ के अब होटल में खाए,
तीनो चीज दिखाए,
समय क्या आ गया है,
समय क्या आ गया है।।
तीरथ के नाम से ही जब,
मन में वो श्रद्धा जगा करती थी,
भव तारणी वो गंगा,
बंद नैनो में बहा करती थी,
वही पे पिकनिक लोग मनाए,
‘पंकज’ क्या बतलाए,
समय क्या आ गया है,
समय क्या आ गया है।।
वक्त का पहिया चलता जाये,
हमको ये बतलाये,
समय क्या आ गया है,
कलयुग का ये खेल निराला,
पग पग में दिखलाए,
समय क्या आ गया है,
समय क्या आ गया है।।
Singer – Gyan Pankaj Agarwal