लाड़ली श्यामा जू,
रख लो हमें बरसाने में,
मेरा मन ही ना लागे,
ज़माने में,
मेरा दिल ही ना लागे,
ज़माने में,
लाड़ली श्यामा जु,
रख लो मुझे बरसाने में।।
तर्ज – श्री राम जानकी बैठे है।
ये पथ है विशाल,
मैं तो रीती हूँ,
मेरी धीमी है चाल,
मैं तो चींटी हूँ,
थक ना जाऊँ कहीं,
आने जाने में,
थक ना जाऊँ कहीं,
आने जाने में,
लाड़ली श्यामा जु,
रख लो मुझे बरसाने में।।
आप सुनती रहे,
मैं सुनाती रहूं,
आप रूठी रहे,
मैं मनाती रहूं,
अच्छी गुजरेगी,
सुनने सुनाने में,
अच्छी गुजरेगी,
सुनने सुनाने में,
लाड़ली श्यामा जु,
रख लो मुझे बरसाने में।।
आप तो हमको,
बुलाते रहे,
आप भर भर के,
हमको पिलाते रहे,
मेरे पाप करम,
आड़े आते रहे,
माफ़ कर दो,
हुआ जो अनजाने में,
माफ़ कर दो,
हुआ जो अनजाने में,
लाड़ली श्यामा जु,
रख लो मुझे बरसाने में।।
ये ना समझो की,
टाले से टल जाएगी,
हरिदासी तो विरहा में,
जल जाएगी,
लगे कितने जनम,
फिर रिझाने में,
लगे कितने जनम,
फिर रिझाने में,
लाड़ली श्यामा जु,
रख लो मुझे बरसाने में।।
लाड़ली श्यामा जू,
रख लो हमें बरसाने में,
मेरा मन ही ना लागे,
ज़माने में,
मेरा दिल ही ना लागे,
ज़माने में,
लाड़ली श्यामा जु,
रख लो मुझे बरसाने में।।