तुमसे हो गई अंखियां चार,
सांवरे खाटू में,
खाटू में खाटू में,
सांवरे खाटू में,
तुमसे हो गईं अखियाँ चार,
सांवरे खाटू में।।
तर्ज – मेरो खोए गयो बाजूबंद रसिया।
निहार रहा था मैं तो छवि तुम्हारी,
दिल में बस गई रे सूरत प्यारी,
तुमसे जुड़ गए दिल के तार,
सांवरे खाटू में,
तुमसे हो गईं अखियाँ चार,
सांवरे खाटू में।।
मुझे कभी भी ना श्याम भुलाना,
हर ग्यारस पे सदा दर पे बुलाना,
मेरे बाबा लखदातार,
सांवरे खाटू में,
तुमसे हो गईं अखियाँ चार,
सांवरे खाटू में।।
देर करो ना श्याम गौर करो अब,
नज़र करम की मेरी ओर करो अब,
“जालान” करता ये मनुहार,
सांवरे खाटू में,
तुमसे हो गईं अखियाँ चार,
सांवरे खाटू में।।
तुमसे हो गई अंखियां चार,
सांवरे खाटू में,
खाटू में खाटू में,
सांवरे खाटू में,
तुमसे हो गईं अखियाँ चार,
सांवरे खाटू में।।
स्वर – निशा शर्मा।
– भजन रचयिता –
पवन जालान जी।
94160-59499 भिवानी (हरियाणा)