चरणों में तेरे,
मिला जो ठिकाना,
प्यासी को मानो कोई,
सावन मिला है,
चरणो में तेरे।।
तर्ज – सागर किनारे दिल ये।
मैंने जो चाहा,
जीवन में पाया,
संग मेरे रहता,
सांवरे का साया ,
शिकवा किसी से है ना,
कोई गिला है,
चरणो में तेरे,
मिला जो ठिकाना,
प्यासी को मानो कोई,
सावन मिला है,
चरणो में तेरे।।
मंजिल का मेरे,
पता कुछ नहीं था,
अंधेरो में यूँ ही,
भटका किया था,
तेरे प्यार का दिल में,
दीपक जला है,
चरणो में तेरे,
मिला जो ठिकाना,
प्यासी को मानो कोई,
सावन मिला है,
चरणो में तेरे।।
नींदो में अब तू,
सपनो में तू है,
सांसो की लय में,
धड़कन में तू है,
तेरी बंदगी का ऐसा,
जादू चला है,
चरणो में तेरे,
मिला जो ठिकाना,
प्यासी को मानो कोई,
सावन मिला है,
चरणो में तेरे।।
इतना किया है तू,
इतना भी कर दे,
सेवा का मुझको,
मेरे श्याम वर दे,
मन का ये मोती ‘हर्ष’,
तुम्ही से खिला है,
चरणो में तेरे,
मिला जो ठिकाना,
प्यासी को मानो कोई,
सावन मिला है,
चरणो में तेरे।।
चरणों में तेरे,
मिला जो ठिकाना,
प्यासी को मानो कोई,
सावन मिला है,
चरणो में तेरे।।
स्वर – स्वाति अग्रवाल।