आखरी समय में हम करीब हो न हो,
मिट्टी खाटू धाम की नसीब हो न हो।।
जब तक तन में ये सांस रहेगी,
थोड़ी सी ये मिटटी मेरे पास रहेगी,
क्या पता ये धाम नज़दीक हो न हो,
मिट्टी खाटू धाम की नसीब हो न हो।।
तेरे धाम की ये मिटटी बड़ी ही महान,
इसके तो कण कण में है मेरा श्याम,
इससे अच्छा मेरा ये नसीब हो न हो,
मिट्टी खाटू धाम की नसीब हो न हो।।
लाखों लाखों भक्तों के पाँव पड़े हैं,
बरसों से इसमें मेरे श्याम खड़े है,
अगले जनम में ये गरीब हो ना हो,
मिट्टी खाटू धाम की नसीब हो न हो।।
‘बनवारी’ मेरा ये नसीब खुल जाए,
तेरी मिटटी में ये मेरी मिटटी मिल जाए,
नाम मेरा भक्तों में शरीक हो ना हो,
मिट्टी खाटू धाम की नसीब हो न हो।।
आखरी समय में हम करीब हो न हो,
मिट्टी खाटू धाम की नसीब हो न हो।।
Singer – Mukesh Goel