पग पग पे जो चलता,
भक्तो के साथ है,
वो शिव शम्भू,
मेरा बाबा भोलेनाथ है,
जो देखे ना अपने,
भक्तो की जात है,
भोलेनाथ है वो भूतनाथ है,
पग पग पें जो चलता,
भक्तों के साथ है,
वो शिव शम्भू,
मेरा बाबा भोलेनाथ है।।
तर्ज – कब तक चुप बैठे अब।
मस्तक पर जिनके चंदा,
और जटा में बहती गंगा,
देवों में देव बड़े जो,
पहने है हार भुजंगा
जो भूतों के भी,
हरदम रहता साथ है,
जो कहलाता भूतों का,
भूतनाथ है,
भोलेनाथ है वो भूतनाथ है,
पग पग पें जो चलता,
भक्तों के साथ है,
वो शिव शम्भू,
मेरा बाबा भोलेनाथ है।।
जो जग को अमृत बांटे,
खुद विष का प्याला पीता,
हाथी ना महल अटारी,
जो पर्वत ऊपर बैठा,
जो बिन बोले सुन लेता,
दिल की बात है,
भोलेनाथ है वो भूतनाथ है,
पग पग पें जो चलता,
भक्तों के साथ है,
वो शिव शम्भू,
मेरा बाबा भोलेनाथ है।।
जिनसे परिवार है चलता,
मुंह माँगा जिनसे मिलता,
जो देने पे आ जाए,
किस्मत का लेख बदलता,
जिसने ‘प्रकाश’ का थामा,
आ कर हाथ है,
भोलेनाथ है वो भूतनाथ है,
पग पग पें जो चलता,
भक्तों के साथ है,
वो शिव शम्भू,
मेरा बाबा भोलेनाथ है।।
पग पग पे जो चलता,
भक्तों के साथ है,
वो शिव शम्भू,
मेरा बाबा भोलेनाथ है,
जो देखे ना अपने,
भक्तों की जात है,
भोलेनाथ है वो भूतनाथ है,
पग पग पें जो चलता,
भक्तों के साथ है,
वो शिव शम्भू,
मेरा बाबा भोलेनाथ है।।
Singer/Writer – Prakash Mishra