महफ़िल लगी है श्याम,
आये है सब रिझाने,
सब पागल हुए मुरारी,
तू माने या ना माने,
सब पागल हुए मुरारी,
तू माने या ना माने।।
तर्ज – तुम जो चले गए तो।
देखी तेरी मुरलिया,
मदहोश हो गए हम,
हँसना है जिंदगी भर,
अब ना रहे कोई गम,
नजरो से वार करते,
तुम हो बड़े सयाने,
सब पागल हुए मुरारी,
तू माने या ना माने।।
चरणों से यूँ लिपट कर,
करनी हैं चार बाते,
आओ मेरे कन्हैया,
ना बीत जाए राते,
अर्जी ये आज बाबा,
आए तुझे सुनाने,
सब पागल हुए मुरारी,
तू माने या ना माने।।
तेरे अधर से मुरली,
जब जब बजे कन्हैया,
तेरे बीना ये नैया,
पतवार बिन खिवईया,
चाकर है तेरा “दीपक”,
आया है कुछ सुनाने,
सब पागल हुए मुरारी,
तू माने या ना माने।।
महफ़िल लगी है श्याम,
आये है सब रिझाने,
सब पागल हुए मुरारी,
तू माने या ना माने,
सब पागल हुए मुरारी,
तू माने या ना माने।।
प्रेषक – मुकेश शर्मा (जयपुर)
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