चलो मनवा वो मोहन जहाँ मिले,
लगा ले मुझे गले,
चलों मनवा वो मोहन जहाँ मिले।।
तर्ज – चलो सजना जहाँ तक घटा।
गोकुल बिंद्रावन या,
खाटू कहीं तो होगा,
छइयां कदम के नीचे,
या यमुना तट होगा,
थाम ले हाथ वो,
थाम ले हाथ वो,
इक बार जो निगाह मिले,
चलों मनवा वो मोहन जहाँ मिले,
लगा ले मुझे गले,
चलों मनवा वो मोहन जहाँ मिले।।
वो मुरलीधर मोहन,
बांके मेरे बिहारी,
कब आएंगे आँखें,
रोने लगी हमारी,
चल चलें हो शुरू,
चल चलें हो शुरू,
मिलने के ये सिलसिले,
चलों मनवा वो मोहन जहाँ मिले,
लगा ले मुझे गले,
चलों मनवा वो मोहन जहाँ मिले।।
‘लहरी’ छूटे ना ये,
दिल की लगी कन्हैया,
होगा इक दिन होगा,
मैं झुमुं तेरी बइयाँ,
वो समा दे मुझे,
वो समा दे मुझे,
गुलशन भी मेरा खिले,
चलों मनवा वो मोहन जहाँ मिले,
लगा ले मुझे गले,
चलों मनवा वो मोहन जहाँ मिले।।
चलो मनवा वो मोहन जहाँ मिले,
लगा ले मुझे गले,
चलों मनवा वो मोहन जहाँ मिले।।
Singer/Writer – C.S. Sharma Lahari