मारा मनवा जीवडलो हिलोरा खाय,
दोहा – भक्त बीज पलटे नही,
जो जुग जाये अनंत,
ऊंच नीच घर अवतरे,
वो रहे संत रो संत।
भगती बेटी संत री,
जहाँ भेजे वहां जाय,
अरे बिना भगती रेवे नही,
भगती घर आ जाय।
मारा मनवा जीवडलो हिलोरा खाय,
मारा मनवा जीवड़लो हिलोरा खाय,
मारा मनवा हालो हालो गुरूजी रे द्वार,
मारा गया हालो हालो गुरूजी रे द्वार।।
अरे ए जी मारा मनवा,
कागदीया लिख भेजो दोई चार,
मारा मनवा,
कागदीया लिख भेजो दोई चार,
मारा मनवा,
इन रे अवसरीये वेगो आव,
मारा मनवा,
इन रे अवसरीये वेगो आव,
मारा मनवा,
लम्बा लटीया ने काला केश,
मारा मनवा,
हालो हालो गुरूजी रे द्वार,
मारा मनवा,
जीवडलो हिलोरा खाय।।
अरे हा रे मारा मनवा,
अरे हा रे सुरता बेनडली,
अरे पीवरीया रा भाई बंधु,
छोड अरे पीवरीया रा भाई बंधु,
छोड सुरता बेनडली,
सासरीये जावो रे राखो कोड,
सुरता बेनडली सासरीये जावो रे,
राखो कोड मारा मनवा,
हालो हालो गुरूजी रे देश।।
अरे हा रे मारा मनवा,
मीरा बाई ने गुरूजी आस,
मारा मनवा,
मीरा बाई ने गुरूजी आस,
मारा मनवा,
गुरू मिलीया ओ रविदास,
मारा मनवा,
गुरू मिलीया ओ रविदास,
मारा मनवा,
हालो हालो गुरूजी रे देश,
मारा मनवा हालो हालो गुरूजी रे देश।।
मारा मनवा जीवड़लो हिलोरा खाय,
मारा मनवा हालो हालो गुरूजी रे द्वार,
मारा गया हालो हालो गुरूजी रे द्वार।।
गायक – शंकर टाक जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
भजन बहुत सुंदर लगा। इसी तरह और भजन लिखित में भेजते रहिए
लेकिन ये सब कॉपी नही हो रहे हैं
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