जरा सर को झुकाओ वासुदेव जी,
तेरी टोकरी में त्रिलौकी नाथ है,
चूमने दो चरण मुझे प्रेम से,
आज यमुना की यही फरियाद है,
जरा सर को झुकाओं वासुदेव जी।।
तर्ज – जरा सामने तो आओ छलिये।
राम बने गंगा तट लांघे,
मारे थे अत्याचारी,
आज ये मुझको पार करेंगे,
मैं हूँ इनकी आभारी,
मेरी बूंद बूंद हरषात है,
छाई काली घटा बरसात है,
चूमने दो चरण मुझे प्रेम से,
आज यमुना की यही फरियाद है,
जरा सर को झुकाओं वासुदेव जी।।
यमुना जी का धीरज टूटा,
उमड़ उमड़ कर आई,
श्याम ने चरण बढ़ाएं आगे,
यमुना जी हरषाई है,
चरणों को लगाइ लीनो माथ है,
प्रभु प्रेम से धरो सिर पे हाथ है,
चूमने दो चरण मुझे प्रेम से,
आज यमुना की यही फरियाद है,
जरा सर को झुकाओं वासुदेव जी।।
चूम लिए प्रभु के चरणों को,
मन ही मन में नमन किया,
वासुदेव जी गोकुल पहुंचे,
खुद ही रस्ता बना दिया,
‘बिन्नू’ जग में हुई प्रभात है,
‘लक्खा’ डरने की ना कोई बात है,
चूमने दो चरण मुझे प्रेम से,
आज यमुना की यही फरियाद है,
जरा सर को झुकाओं वासुदेव जी।।
जरा सर को झुकाओ वासुदेव जी,
तेरी टोकरी में त्रिलौकी नाथ है,
चूमने दो चरण मुझे प्रेम से,
आज यमुना की यही फरियाद है,
जरा सर को झुकाओं वासुदेव जी।।
स्वर – लखबीर सिंह लक्खा जी।
प्रेषक – शेखर चौधरी
मो – 9754032472
लख्खा जी का ये बहुत सुंदर श्याम भजन है इस भजन को पढ़ कर में भाव विभोर हो गया
इस भजन को जिसने भी लिखा है में उसे कोटि कोटि नमन करता हु
और जिस गहराई से श्री लक्खा जी ने प्रभु की महिमा का बखान किया है उसका वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नही है
जय श्री कृष्ण
जय हो लक्खा जी
Humko yah bahut pyara song laga thankyou lakkha ji