सबसे अलग है सबसे खरी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है,
कहते है वो जिसने सेवा करी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है।।
जिसने ये जीवन तुझपे है वारा,
बड़ी मौज में उसका चलता गुज़ारा,
जीवन की बगियाँ रहती हरी है,
जीवन की बगियाँ रहती हरी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है।
सबसें अलग है सबसें खरी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है,
कहते है वो जिसने सेवा करी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है।।
आधे आधूरे थे मेरे सपने,
मुख मोड़कर बैठे मेरे थे अपने,
जबसे मिली श्याम तेरी चाकरी है,
जबसे मिली श्याम तेरी चाकरी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है।
सबसें अलग है सबसें खरी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है,
कहते है वो जिसने सेवा करी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है।।
जब जब मैंने हाथ फैलाया,
खाली नही श्याम तुमने लौटाया,
जब जब पसारी झोली भरी है,
जब जब पसारी झोली भरी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है।
सबसें अलग है सबसें खरी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है,
कहते है वो जिसने सेवा करी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है।।
ऐसा अनोखा मलिक है पाया,
सेवक का जिसने मान बढ़ाया,
अगले जनम की ‘रोमी’ अर्जी धरी है,
अगले जनम की ‘रोमी’ अर्जी धरी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है।
सबसें अलग है सबसे खरी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है,
कहते है वो जिसने सेवा करी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है।।
सबसे अलग हैं सबसे खरी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है,
कहते है वो जिसने सेवा करी है,
बड़ी रुतबे वाली तेरी नौकरी है।।
गायक / लेखक – सरदार रोमी जी।