साधु खड़ा द्वार,
भिक्षा घाल माई हो ओओओ,
हेरी घृस्ती आले धर्म कर्म प,
चाल माई हो ओओओ।।
जै कोए साधु घर प आज्या,
खाली ना वो ताहणा चाहिए,
जो ईश्वर ने दे राखया स,
पुनः में पैसा लाणा चाहिए,
अतिथि की सेवा कर के,
घृस्ती धर्म निभाणा चाहिए,
हे दान करे त होज्या,
मालामाल माई हो ओओओ,
घृस्ती आले धर्म कर्म प,
चाल माई हो ओओओ।।
सेवा भक्ति दान करे तं,
हो भक्ति में सीर माई,
उनके बेड़े पार होवं,
जिने पकड़ी धर्म लकीर माई,
संत गऊ ब्राह्मण की सेवा,
खोलदे तकदीर माई,
हेरी कर क दान मत करिये,
मन में मलाल माई हो ओओओ,
घृस्ती आले धर्म कर्म प,
चाल माई हो ओओओ।।
हो धर्म कर्म ने जाणण आली,
स पतिव्रता बीर माई,
इन बातां ने वो समझे जो,
हो गुरु की सीख माई,
हो जोगीराम ज्युं पार होवे,
करे गुरु तो प्यार माई,
हेरी रामकरण सा होज्यागा,
तेर लाल माई हो ओओओ,
घृस्ती आले धर्म कर्म प,
चाल माई हो ओओओ।।
साधु खड़ा द्वार,
भिक्षा घाल माई हो ओओओ,
हेरी घृस्ती आले धर्म कर्म प,
चाल माई हो ओओओ।।
प्रेषक – राकेश कुमार।
खरक जाटान(रोहतक)
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