खाटू जाना तो बताना,
मुझे भी चलना है,
मेरे मालिक मेरे दाता,
से मुझको मिलना है,
खाटु जाना तो बताना,
मुझे भी चलना है।।
तर्ज – तेरी गलियों का हूँ आशिक़।
काम धंधे घर गृहस्थी,
में फंस गया हूँ मैं,
मोह माया के दलदल,
में धंस गया हूँ मैं,
जिंदगी के सभी झमेलों,
से निकलना है,
खाटु जाना तो बताना,
मुझे भी चलना है।।
आना जाना मेरा खाटू में,
जबसे छूटा है,
मेरा जीवन है निरर्थक,
जो बाबा रूठा है,
थक चूका हूँ मैं लड़खड़ा के,
अब सम्भलना है,
खाटु जाना तो बताना,
मुझे भी चलना है।।
देश दुनिया में घूम आया,
मग़र सुकून ना मिला,
श्याम प्रेमियों सा ‘मोहित’,
कही जुनून ना मिला,
खाटू जा के मुझे गलियों में,
फिर टहलना हैं,
खाटु जाना तो बताना,
मुझे भी चलना है।।
खाटू जाना तो बताना,
मुझे भी चलना है,
मेरे मालिक मेरे दाता,
से मुझको मिलना है,
खाटु जाना तो बताना,
मुझे भी चलना है।।
Singer – Sanjay Soni