माँ के रहते भक्त कभी,
रो नहीं सकता,
भक्त बुलाए माँ नहीं आए,
हो नहीं सकता,
मां के रहते भक्त कभी।।
भगत तो जान है इसकी,
भगत में प्राण अटके है,
भगत को याद कर कर के,
इसके दिन रात कटते है,
और कही पर मैया का,
दिल नहीं लगता,
भक्त बुलाए माँ नहीं आए,
हो नहीं सकता,
मां के रहते भक्त कभी।।
भगत ठोकर खाकर गिरता,
इसको चोट आती है,
भगत के पास में इसकी,
आत्मा दौड़ जाती है,
मंदिर में रुकने का फिर,
दिल नहीं करता,
भक्त बुलाए माँ नहीं आए,
हो नहीं सकता,
मां के रहते भक्त कभी।।
चाहे घर में चाहे मंदिर में,
माँ तो बस माँ ही होती है,
भगत के आँख भर आए,
तो आँखे माँ की रोती है,
माँ की तुलना कोई भी,
कर नहीं सकता,
भक्त बुलाए माँ नहीं आए,
हो नहीं सकता,
मां के रहते भक्त कभी।।
बुरी नजरो से दुनिया के,
ये मैया बचाकर रखती है,
सीने से ‘बनवारी’ हमको,
ये मैया लगाकर रखती है,
ऊँगली पकड़ कर रखती,
बेटा खो नहीं सकता,
भक्त बुलाए माँ नहीं आए,
हो नहीं सकता,
मां के रहते भक्त कभी।।
माँ के रहते भक्त कभी,
रो नहीं सकता,
भक्त बुलाए माँ नहीं आए,
हो नहीं सकता,
मां के रहते भक्त कभी।।
Singer – Saurabh-Madhukar