सिंह पे भवानी देखो चढ़ आई,
शेरावाली मैया मेरे घर आई,
जगदम्बे मैया मेरे घर आई,
सिंह पे भवानी देखों चढ़ आई।।
मैया ओढ़ चुनड़ प्यारी प्यारी,
अपने भक्तो के घर माँ पधारी,
छाई मन में उमंग,
बाजे ढोल मृदंग,
गूंजे आंगन में खुशियों की शहनाई,
सिंह पे भवानी देखों चढ़ आई,
सिंह पे भवानी देखों चढ़ आई,
शेरावाली मैया मेरे घर आई,
जगदम्बे मैया मेरे घर आई,
सिंह पे भवानी देखों चढ़ आई।।
सजा माँ का दरबार प्यारा प्यारा,
इसके आगे फीका हर नजारा,
जाऊँ तुझपे बलिहार लेउँ नज़रे उतार,
वारु तेरी छवि पे माँ लुन राई,
सिंह पे भवानी देखों चढ़ आई,
सिंह पे भवानी देखों चढ़ आई,
शेरावाली मैया मेरे घर आई,
जगदम्बे मैया मेरे घर आई,
सिंह पे भवानी देखों चढ़ आई।।
तुझे पलकों में अपने छिपा लूँ,
तुझे मन के मंदिर में बसा लूँ,
मेरे तन में है तू मेरे मन में है तू,
‘सौरभ मधुकर’ कण में तू ही समाई,
सिंह पे भवानी देखों चढ़ आई,
सिंह पे भवानी देखों चढ़ आई,
शेरावाली मैया मेरे घर आई,
जगदम्बे मैया मेरे घर आई,
सिंह पे भवानी देखों चढ़ आई।।
सिंह पे भवानी देखो चढ़ आई,
शेरावाली मैया मेरे घर आई,
जगदम्बे मैया मेरे घर आई,
सिंह पे भवानी देखों चढ़ आई।।
स्वर – सौरभ मधुकर।