बाबा एकर तो दरबार में,
बुलाई लीजे रे,
बाबा थासू आस लगी है,
मत न तोड़ दीजे रे,
ओ बाबा एकर तो दरबार मे,
बुलाई लीजे रे।।
जद जद मंशा पूरी होवे,
पैदल थारे आउ रे बाबा,
पैदल थारे आउ,
मारी मन री आस बाबा,
पूरी कर जे रे,
बाबा एकर तों दरबार में,
बुलाई लीजे रे,
बाबा थासू आस लगी है,
मत न तोड़ दीजे रे,
ओ बाबा एकर तो दरबार मे,
बुलाई लीजे रे।।
दुःखीया रा दुःख दूर करे तो,
हँस कर गले लगावे,
मारी तो अरदास बाबा,
चरणा लीजे रे,
बाबा एकर तो दरबार मे,
बुलाई लीजे रे,
बाबा थासू आस लगी है,
मत न तोड़ दीजे रे,
ओ बाबा एकर तो दरबार मे,
बुलाई लीजे रे।।
जब जब सुगणा थाने पुकारे,
दोडियो दोडियो आवे,
बाबो दोडियो दोडियो आवे,
मैं भी थाने पुकारू बाबा,
दर्शण दिजे रे,
बाबा एकर तो दरबार मे,
बुलाई लीजे रे,
बाबा थासू आस लगी है,
मत न तोड़ दीजे रे,
ओ बाबा एकर तो दरबार मे,
बुलाई लीजे रे।।
जद जद थारो मेलो आवे,
तब तब मन मे आवे,
महावीर हंसराज दुवारे आवे,
कृपा कीजे रे,
बाबा एकर तो दरबार मे,
बुलाई लीजे रे,
बाबा थासू आस लगी है,
मत न तोड़ दीजे रे,
ओ बाबा एकर तो दरबार मे,
बुलाई लीजे रे।।
बाबा एकर तो दरबार में,
बुलाई लीजे रे,
बाबा थासू आस लगी है,
मत न तोड़ दीजे रे,
ओ बाबा एकर तो दरबार मे,
बुलाई लीजे रे।।
प्रेषक – हंसराज मेघवंशी मोहराई
9057564428