काया रा नगर में रे,
संतो सुरता कुवारी रह जासी,
सुरता कुवारी रह जावे रे,
इन सत्य पुरूष परणावो,
काया रा नगर में रें,
संतो सुरता कुवारी रह जासी।।
घणा अहंकार में,
नाश नी होवे इन ने,
एडो वर परणावो ओ जी,
रोवा पडु तो आवे नही रे,
रोवा पडु तो आवे नही रे,
इन ने अखंड चुडलो पहरावो,
काया रा नगर में रें,
संतो सुरता कुवारी रह जासी।।
बुढापनो तो आवे नही इन ने,
एडो वर परणावो ओ जी,
आठो पोर ओतो सनमुख रेवे,
आठो पोर ओतो सनमुख रेवे,
रोज दयानंद रो लावो,
काया रा नगर में रें,
संतो सुरता कुवारी रह जासी।।
सत्य पुरूष री सेलानी तो,
सतगुरु पास मंगावो ओ जी,
एक घडी री विलंब बिना,
एक घडी री विलंब बिना,
छोका लगन लिखावो,
काया रा नगर में रें,
संतो सुरता कुवारी रह जासी।।
सतगुरु साचा लगन लिखे जद,
झट इनने परणावो ओ जी,
रामजीराव कहे संत मिलेने,
रामजी राव कहे संत मिलेने,
तुवजा इनरी मिटावो,
काया रा नगर में रें,
संतो सुरता कुवारी रह जासी।।
काया रा नगर में रे,
संतो सुरता कुवारी रह जासी,
सुरता कुवारी रह जावे रे,
इन सत्य पुरूष परणावो,
काया रा नगर में रें,
संतो सुरता कुवारी रह जासी।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818