एक तू ही रे,
हारे का सहारा बाबा श्याम रे,
सदा, तेरी कृपा से बने काम रे।।
तर्ज – बनवारी रे जीने का सहारा।
मेरी नैया, आज खिवैया,
काहे फंसी मझधार,
तुम्हें पुकारू, राह निहारूं,
श्याम लगाओ पार,
ओ जरा, हाथ तु मेरा थाम रे,
एक तू ही रें,
हारे का सहारा बाबा श्याम रे,
सदा, तेरी कृपा से बने काम रे।।
पथ पे तेरे, चलते मेरा,
दिल ये क्यूं घबराया,
कहीं नजर ना, आया रे तू,
ना ही तेरा साया,
कैसे, आऊं तेरे धाम रे,
एक तू ही रें,
हारे का सहारा बाबा श्याम रे,
सदा, तेरी कृपा से बने काम रे।।
अब ये जीवन, तुझको अर्पण,
जैसे चाहे रख ले,
जब भी चाहे, जैसे चाहे,
आ के श्याम परख ले,
“जालान”, कहे सरे आम रे,
एक तू ही रें,
हारे का सहारा बाबा श्याम रे,
सदा, तेरी कृपा से बने काम रे।।
एक तू ही रे,
हारे का सहारा बाबा श्याम रे,
सदा, तेरी कृपा से बने काम रे।।
– गायक व भजन रचयिता –
पवन जालान 9416059499
भिवानी (हरियाणा)