कैसे भूलूँ सांवरे मैं तेरा उपकार,
ऋणी रहेगा तेरा,
ऋणी रहेगा तेरा हरदम मेरा परिवार,
कैसे भूलूं साँवरे मैं तेरा उपकार,
कैसे भूलूं साँवरे मैं तेरा उपकार।।
घूम रही आँखों के आगे,
बीते कल की तस्वीरें,
नाकामी और मायूसी,
संगी साथी थे मेरे,
दर दर भटक रहा था,
दर दर भटक रहा था,
मैं बेबस और लाचार,
कैसे भूलूं साँवरे मैं तेरा उपकार,
कैसे भूलूं साँवरे मैं तेरा उपकार।।
यकीं हो गया आज मुझे,
दुनिया वालो की बातों पे,
सुना था मैंने अबतक जो,
वो देखा है इन आँखों से,
तुमसे ना दयालु कोई,
तुमसे ना दयालु कोई,
है ना कोई दातार,
कैसे भूलूं साँवरे मैं तेरा उपकार,
कैसे भूलूं साँवरे मैं तेरा उपकार।।
बोझ तेरे अहसानो का,
‘सोनू’ पर इतना ज्यादा है,
कम करने की कोशिश में ये,
और भी बढ़ता जाता है,
उतर ना पाए कर्जा,
कभी उतर ना पाए कर्जा,
चाहे लूँ जन्म हजार,
कैसे भूलूं साँवरे मैं तेरा उपकार,
कैसे भूलूं साँवरे मैं तेरा उपकार।।
कैसे भूलूँ सांवरे मैं तेरा उपकार,
ऋणी रहेगा तेरा,
ऋणी रहेगा तेरा हरदम मेरा परिवार,
कैसे भूलूं साँवरे मैं तेरा उपकार,
कैसे भूलूं साँवरे मैं तेरा उपकार।।
स्वर – सौरभ मधुकर।