सुध ले लो मेरी घनश्याम,
आप आए नहीं,
और खबर भी न ली,
खत लिख लिख के भेजे तमाम,
सुध ले लों मेरी घनश्याम,
सुध ले लों मेरी घनश्याम।।
हम तो कन्हैया हुए तेरे ही दीवाने,
चाहे तू माने या चाहे ना माने,
आँखों में छाए मेरे दिल में समाए,
बस होंठों पे है तेरा नाम,
सुध ले लों मेरी घनश्याम,
सुध ले लों मेरी घनश्याम।।
संग की सखियाँ हुई तेरी ही दीवानी,
दिन रात रोती रहे आँखों से पानी,
देती सुनाई हमें मुरली सुहानी,
गीत छेड़े विरह के तमाम,
सुध ले लों मेरी घनश्याम,
सुध ले लों मेरी घनश्याम।।
सुध ले लो मेरी घनश्याम,
आप आए नहीं,
और खबर भी न ली,
खत लिख लिख के भेजे तमाम,
सुध ले लों मेरी घनश्याम,
सुध ले लों मेरी घनश्याम।।
Hame ye gana bahut achha lag rha h