मैंने भोग सजायो है थाल,
मईया कर लिजो स्वीकार,
मईया कर लिजो,
माँ कर लिजो,
मैंने भोग सजायों है थाल,
मईया कर लिजो स्वीकार।।
तर्ज – मेरा श्री वैष्णव परिवार।
शबरी के बैर समझ करके,
तुम पा लिजो यो चखकर के,
ये है मीठा की भरमार,
मईया कर लिजो स्वीकार।
मैंने भोग सजायों है थाल,
मईया कर लिजो स्वीकार।।
जिन भक्तों के घर जाकर के,
उन्हें धन्य किए माँ पा करके,
वैसा ही समझ सरकार,
मईया कर लिजो स्वीकार।
मैंने भोग सजायों है थाल,
मईया कर लिजो स्वीकार।।
उन भक्तों सा नही बन पाया,
ना वैसा भाव जगा पाया,
यही कमी रही हर बार,
मईया कर लिजो स्वीकार।
मैंने भोग सजायों है थाल,
मईया कर लिजो स्वीकार।।
जो तुम पाओ वह ज्ञात नही,
इतनी मेरी औकात नही,
मैं आँसु बहाउँ धार,
मईया कर लिजो स्वीकार।
मैंने भोग सजायों है थाल,
मईया कर लिजो स्वीकार।।
मैंने भोग सजायो है थाल,
मईया कर लिजो स्वीकार,
मईया कर लिजो,
माँ कर लिजो,
मैंने भोग सजायों है थाल,
मईया कर लिजो स्वीकार।।
By – Ashutosh Trivedi
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– वीडियो उपलब्ध नही।