साधुडा बिना नहीं आवडे,
नहीं आवडे रे भई मारा नहीं आवडे,
साधुड़ा बिना नही आवडे।।
एक दिन साधुडा निजर भर निर्खया,
एक दिन साधुडा निजर भर निर्खया,
निरखत निरखत नेंण ठरे रे,
साधुड़ा बिना नही आवडे।।
सत री संगत मे घणौ रे आनन्द है,
सत री संगत मे घणौ रे आनन्द है,
भर भर प्याला प्रेम पियो रे,
साधुड़ा बिना नही आवडे।।
दादर मोर पपया बोलत है,
दादर मोर पपया बोलत है,
गेरी गीगन मे घोर पड़े,
साधुड़ा बिना नही आवडे।।
दहिडि नगर मे नव दरवाजा,
दहिडि नगर मे नव दरवाजा,
खोजत खोजत खबर पड़े,
साधुड़ा बिना नही आवडे।।
स्वामी डूंगरपूरी चरणों री सेवा,
स्वामी डूंगरपूरी चरणों री सेवा,
दहिडि पाप परा झड़े,
साधुड़ा बिना नही आवडे।।
साधुडा बिना नहीं आवडे,
नहीं आवडे रे भई मारा नहीं आवडे,
साधुड़ा बिना नही आवडे।।
प्रेषक – मांगीलाल सेन बायतु।
भजन गायक – सुरेश जांगिड़।
बाड़मेर 7073648651