कहना मत श्याम किसी से,
मैं खाटू आता हूँ,
मांगकर तुझसे,
मैं अपना घर चलाता हूँ,
कहना मत श्याम किसी सें,
मैं खाटू आता हूँ।।
मुझको गैरो की नहीं चिंता,
अपनों का डर है,
बस यही खौफ श्याम मेरे,
दिल के अंदर है,
अपनों को जो पता चला,
तो वो रुला देंगे,
सरे बाजार में मेरी,
लाज वो उड़ा देंगे,
मुझे जीने नहीं देंगे,
मेरे अपने ही मुझे,
जैसे तैसे मैं लाज,
अपनी ये बचाता हूँ,
कहना मत श्याम किसी सें,
मैं खाटू आता हूँ।।
सबको भ्रम है मेरे कांधो पे,
घर ये चलता है,
मैं जानता हूँ मेरा कुनबा,
कैसे पलता है,
जो राज ये बना हुआ है,
वो राज रहने दो,
जो समझते है लोग,
वो उनको समझने दो,
सिवा तुम्हारे किसी को,
नहीं है इसका पता,
कहाँ से लाता हूँ,
मैं और कहाँ से खाता हूँ,
कहना मत श्याम किसी सें,
मैं खाटू आता हूँ।।
गिरते निशान को,
दुनिया नहीं उठाती कभी,
लाज एक बार गई तो,
वो नहीं आती कभी,
लाज हाथों में तुम्हारे,
लाज तुम रखना,
आज वादा यही ‘शर्मा’ से,
श्याम तुम करना,
आने जाने की खबर,
सबसे तुम छुपाओगे,
मैं भी ये बात सभी से,
प्रभु छुपाता हूँ,
कहना मत श्याम किसी सें,
मैं खाटू आता हूँ।।
कहना मत श्याम किसी से,
मैं खाटू आता हूँ,
मांगकर तुझसे,
मैं अपना घर चलाता हूँ,
कहना मत श्याम किसी सें,
मैं खाटू आता हूँ।।
गायक – विमल दीक्षित जी।