खाटू में बैठा लगा के दरबार,
श्याम धणी सरकार,
हारे का साथी ये, यारो का यार,
मेरा बाबा लखदातार,
खाटु में बैठा लगा के दरबार,
श्याम धणी सरकार।।
तर्ज – जमाने के देखे है रंग हजार।
शीश का दानी महा बलवानी,
दुनिया है जिसके नाम की दीवानी,
तीन बाण धारी, है लीले असवार,
श्याम धणी सरकार,
हारे का साथी ये, यारो का यार,
मेरा बाबा लखदातार,
खाटु में बैठा लगा के दरबार,
श्याम धणी सरकार।।
जाता हैं जो भी श्याम के द्वारे,
बन जाते है बाबा उनके सहारे,
‘दिलबर’ के संग तू भी चल एक बार,
‘विक्रम; ये करता पुकार,
हारे का साथी ये, यारो का यार,
मेरा बाबा लखदातार,
खाटु में बैठा लगा के दरबार,
श्याम धणी सरकार।।
खाटू में बैठा लगा के दरबार,
श्याम धणी सरकार,
हारे का साथी ये, यारो का यार,
मेरा बाबा लखदातार,
खाटु में बैठा लगा के दरबार,
श्याम धणी सरकार।।
गायक – विक्रम गुण्डिया।
– लेखक / प्रेषक –
दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र.
मो.9907023365
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