धन्य है भारत देश हमारा,
वंदे मातरम् का नारा।
दोहा – जब तक रहे गंगा त्रिवेणी,
रहे तिरंगे की आन,
तीर्थ ज्ञान विज्ञान रहेगें,
इस भारत की शान।
धन्य है भारत देश हमारा,
वंदे मातरम् का नारा,
गंगा त्रिवेणी में नहाना,
जन्मे ज्ञान और बलिदान,
मेरा भारत देश महान,
आवे हरिद्वार हर पोढी,
दुनिया महाकुम्भ मे दौडी,
ओर प्रयागराज त्रिवेणी,
जो है तीर्थ सबसे महान,
गंगाजी मे करो स्नान।।
विष्णु चरण से निकली गंगा,
ब्रह्म कमण्डल आयी,
शिव की जटा मे रमन करके,
हरिद्वार दरसाई,
विष्णु चरण से निकली गंगा,
ब्रह्म कमण्डल आयी,
शिव की जटा मे रमन करके,
हरिद्वार दरसाई,
भागीरथ के भाव गंगा,
मृत्यु लोक में आयी,
मीठो सागर जल बनाई,
गंगा पहुंची काशी माई,
इलाहाबाद मिल जाई,
बन गई त्रिवेणी प्रयाग,
गंगाजी मे करो स्नान,
आवे हरिद्वार हर पोढी,
दुनिया महाकुम्भ मे दौडी,
ओर प्रयागराज त्रिवेणी,
जो है तीर्थ सबसे महान,
गंगाजी मे करो स्नान।।
गंगा की लहरे चले मचलती,
सबके मन को लुभाए,
एक छोल लग जाये लहर की,
तृप्त जीव हो जाये,
गंगा की लहरे चले मचलती,
सबके मन को लुभाए,
एक छोल लग जाये लहर की,
तृप्त जीव हो जाये,
रोग दोष मिट जाये तन का,
निर्मल नीर के माय,
देखो गंगाजी के घाट,
वहा है नहाने का ठाट,
करे पूजे अर्चना पाठ,
सबका हो जावे कल्याण,
गंगाजी मे करो स्नान,
आवे हरिद्वार हर पोढी,
दुनिया महाकुम्भ मे दौडी,
ओर प्रयागराज त्रिवेणी,
जो है तीर्थ सबसे महान,
गंगाजी मे करो स्नान।।
ऋषि मुनी साधु वैरागी,
संत अखाडा नहाय,
आप तिरे ओरो को तारे,
महाकुम्भ के माय,
ऋषि मुनी साधु वैरागी,
संत अखाडा नहाय,
आप तिरे ओरो को तारे,
महाकुम्भ के माय,
किस वेश में कौन आ जावे,
विरला दर्शन पाय,
वे तो अपना भाग सरावे,
ओर मन ही मन मुस्कावे,
उनका जन्म सफल हो जावे,
संत रज से वो तिर जाय,
गंगाजी मे करो स्नान,
आवे हरिद्वार हर पोढी,
दुनिया महाकुम्भ मे दौडी,
ओर प्रयागराज त्रिवेणी,
जो है तीर्थ सबसे महान,
गंगाजी मे करो स्नान।।
कल कल करती चले ये नदियाँ,
है प्रचंड जल धारा,
गंगाजल से पावन हो गया,
भारत देश हमारा,
कल कल करती चले ये नदियाँ,
हैं प्रचंड जल धारा,
गंगाजल से पावन हो गया,
भारत देश हमारा,
प्रबल वेग गंगा त्रिवेणी,
सबका करे उद्दार,
है पतित पावनी गंगे,
इसकी अदभुत है तरंगे,
इससे होवे शीतल अंगे,
सबका मन पावन हो जावे,
गंगाजी मे करो स्नान,
आवे हरिद्वार हर पोढी,
दुनिया महाकुम्भ मे दौडी,
ओर प्रयागराज त्रिवेणी,
जो है तीर्थ सबसे महान,
गंगाजी मे करो स्नान।।
सुन्दर काया सोहनी,
भीतर मध्य मोर,
बिना धर्म बिना भजन के,
कौन इसको धोय,
सुन्दर काया सोहनी,
भीतर मध्य मोर,
बिना धर्म बिना भजन के,
कौन इसको धोय,
माली छवर कहे गुरू शरण में,
करलो हरि गुण गान,
लेलो गंगा का सहारा,
जल है अमृत जैसा प्यारा,
धुल जाये पाप जीवन का सारा,
शुद्ध अंतकरण हो जाय,
गंगाजी मे करो स्नान,
आवे हरिद्वार हर पोढी,
दुनिया महाकुम्भ मे दौडी,
ओर प्रयागराज त्रिवेणी,
जो है तीर्थ सबसे महान,
गंगाजी मे करो स्नान।।
धन्य है भारत देश हमारा,
वंदे मातरम् का नारा,
गंगा त्रिवेणी में नहाना,
जन्मे ज्ञान और बलिदान,
मेरा भारत देश महान,
आवे हरिद्वार हर पोढी,
दुनिया महाकुम्भ मे दौडी,
ओर प्रयागराज त्रिवेणी,
जो है तीर्थ सबसे महान,
गंगाजी मे करो स्नान।।
स्वर – कुशल जी बारठ।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818