जोवे जमीं पर पग धरना,
मारा भवरा रे।
दोहा – कहे संत सगराम,
हाथ में हिरा आया,
समझ्यो नही गिवार,
गाल गोपन मे बाया।
बावत बावत बावीया,
ओर लारे बचीयो एक,
आयो हिरा रो पारखु,
जद रोयो माथो टेक।
रोयो माथो टेक एडा मे,
घणा गमाया,
कहे संत सगराम,
हाथ में हिरा आया।
जोवे जमीं पर पग धरना,
मारा भवरा रे,
ओ जोवें जमीं पर पग धरना,
मारा भवरा रे,
ए मारा भवरा रे,
जोवें जमीं पर पग धरना,
ओ मारा भवरा रे,
जोवे जोवे ने वस्तु लेना।।
ऊंडा सागर रो हंसा,
संगडो नही करनो रे,
पाल बैठे ने पग धोना,
ऊंडा सागर रो हंसा,
संगडो नही करनो रे,
पाल बैठे ने पग धोना,
पाल बैठे ने पग धोना,
मारा भवरा रे,
ओ पाल बैठे ने पग धोना,
मारा भवरा रे,
ए मारा भवरा रे,
जोवें जमीं पर पग धरना,
मारा भवरा रे,
जोवे जोवे ने वस्तु लेना।।
ऊंचा तरवर रो हंसा,
संगडो नही करनो रे,
नीचे पडीयोडा फल खाना,
ऊंचा तरवर रो हंसा,
संगडो नही करनो रे,
नीचे पडीयोडा फल खाना,
नीचे पडीयोडा फल खाना,
मारा भवरा रे,
ओ नीचे पडीयोडा फल खाना,
मारा भवरा रे,
ए मारा भवरा रे,
जोवें जमीं पर पग धरना,
मारा भवरा रे,
जोवे जोवे ने वस्तु लेना।।
पराई नारी रो हंसा,
संगडो नही करनो रे,
पद पंचो मे नही खोना,
पराई नारी रो हंसा,
संगडो नही करनो रे,
पद पंचो मे नही खोना,
पद पंचो मे नही खोना,
मारा भवरा रे,
ओ पद पंचो मे नही खोना,
मारा भवरा रे,
ए मारा भवरा रे,
जोवें जमीं पर पग धरना,
मारा भवरा रे,
जोवे जोवे ने वस्तु लेना।।
नव सौ रे नदियाँ,
निन्यानवे नाला ओ,
एतो उतरना घणा दोरा,
नव सौ रे नदियाँ,
निन्यानवे नाला रे,
एतो उतरना घणा दोरा,
एतो उतरना घणा दोरा,
मारा भवरा रे,
ओ एतो उतरना घणा दोरा,
मारा भवरा रे,
ए मारा भवरा रे,
जोवें जमीं पर पग धरना,
मारा भवरा रे,
जोवे जोवे ने वस्तु लेना।।
कहत कबीर सुनो भई साधु रे,
हरि ने लागे वे नर प्यारा,
कहत कबीर सुनो भई साधु रे,
हरि ने लागे वे नर प्यारा,
अरे रामजी ने लागे वे नर प्यारा,
मारा भवरा रे,
ओ हरि ने लागे वे प्यारा,
मारा भवरा रे,
ए मारा भवरा रे,
जोवें जमीं पर पग धरना,
मारा भवरा रे,
जोवे जोवे ने वस्तु लेना।।
जोवे जमीं पर पग धरना,
मारा भवरा रे,
ओ जोवें जमीं पर पग धरना,
मारा भवरा रे,
ए मारा भवरा रे,
जोवें जमीं पर पग धरना,
ओ मारा भवरा रे,
जोवे जोवे ने वस्तु लेना।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818