गुरुजी म्हाने जादू जोर दिया,
राम नाम का मंत्र सुनाय,
मेरा भरम छीन लिया।।
छंद – ध्यान मूलं गुरु मूर्ति,
पूजा मूलं गुरु पदम्।
मन्त्र मूलं गुरु वाक्यम,
मोक्ष मूलं गुरु कृपा।।
सतगुरु दीन दयाल और,
सब देवा रा देव।
दास जाण दया करो,
गुरु देणा केवल भेव।।
देणा केवल भेव सेव,
नित करू तुम्हारी।
खींव कहे कर जोड़,
लाज गुरु रखना हमारी।।
श्लोक – गुरु को सिर पर राखिये,
चलिए आज्ञा मान।
कहे कबीर उण दास को,
फिर तीन लोक डर नाय।।
कण दिया सो पणदिया,
किया भील का भूप।
बलिहारी गुरु आपने मेरे,
चढ़िया सवाया रूप।।
गुरुजी म्हाने जादू जोर दिया,
राम नाम का मंत्र सुनाय,
मेरा भरम छीन लिया।।
सत शब्दा की गुरु नाव बणाई,
भव से पार किया,
बा मंझला कोई हरिजन होइया,
गुरु से हेत किया।
गुरुजी म्हाने जादु जोर दिया,
राम नाम का मंत्र सुनाय,
मेरा भरम छीन लिया।।
भवसागर से टाळ प्रेम गुरु,
सुखसागर में लिया,
बुगला वर्ण मेट म्हारा सतगुरु,
उजला हंस किया।
गुरुजी म्हाने जादु जोर दिया,
राम नाम का मंत्र सुनाय,
मेरा भरम छीन लिया।।
पाँचों ने पकड़,
वचन एक पकड़या,
पचीसों ने पकड़ लिया,
पचीसों ने पकड़,
तीन गुण पकड़या,
अदर सदर रिया।
गुरुजी म्हाने जादु जोर दिया,
राम नाम का मंत्र सुनाय,
मेरा भरम छीन लिया।।
ईस्ट मुसट और देवी देवता,
सब ने बन्द किया,
बेगम नगर का बेगि को चलणा,
नवलो नेम लिया।
गुरुजी म्हाने जादु जोर दिया,
राम नाम का मंत्र सुनाय,
मेरा भरम छीन लिया।।
गुरुजी म्हाने जादु जोर दिया,
राम नाम का मंत्र सुनाय,
मेरा भरम छीन लिया।।
स्वर – श्री ओमदास जी महाराज।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
लाजवाब thanks Bhajan Diary
अती सुन्दर जैसे मेरे साहेब सामने हो, आपका मन की गहराईयो से भावपूर्ण धन्यवाद