दिल चोरी साडा हो गया,
खाटू के मंदर में,
और मैं भी दीवाना हो गया,
खाटू के मंदर में,
मुस्काए जो सरकार,
हो गया एक पल में ही प्यार,
अब मैं इससे ज्यादा क्या कहूँ,
जन्मों का रिश्ता हो गया,
खाटू के मंदर में,
दिल चोरी साड्डा हो गया,
खाटू के मंदर में।।
तर्ज – दिल चोरी साडा हों गया।
जादू टोना कर देता,
ऐसा है ये जादूगर,
विश्वास नहीं गर मेरा,
तो जाके देखो इक बार,
सारा जग पीछे हो गया,
खाटू के मंदर में,
दिल चोरी साड्डा हो गया,
खाटू के मंदर में।।
छोटा सा है ये मंदर,
सब कुछ है इसके अन्दर,
जो हार के दर पे आता,
वो बन जाता है सिकंदर,
निर्धन भी राजा हो गया,
खाटू के मंदर में,
दिल चोरी साड्डा हो गया,
खाटू के मंदर में।।
सेठों का सेठ कहाता,
दोनों हाथों से लुटाता,
जो सच्चे मन से आता,
जीवन भर मौज उड़ाता,
मन चाहा पूरा हो गया,
खाटू के मंदर में,
दिल चोरी साड्डा हो गया,
खाटू के मंदर में।।
तेरा ‘श्याम’ हुआ मतवाला,
ऐसा जादू कर डाला,
सारी दुनिया से बढ़कर,
लगता है खाटू वाला,
तेरा जग दीवाना हो गया,
खाटू के मंदर में,
दिल चोरी साड्डा हो गया,
खाटू के मंदर में।।
दिल चोरी साडा हो गया,
खाटू के मंदर में,
और मैं भी दीवाना हो गया,
खाटू के मंदर में,
मुस्काए जो सरकार,
हो गया एक पल में ही प्यार,
अब मैं इससे ज्यादा क्या कहूँ,
जन्मों का रिश्ता हो गया,
खाटू के मंदर में,
दिल चोरी साड्डा हो गया,
खाटू के मंदर में।।
स्वर – अंजलि जी द्विवेदी।
Atyant sunder