दादा गुरुवर सारे जहाँ में निराला है,
कोई और नही मोहनखेड़ा वाला है।।
तर्ज – दिल दीवाना बिन सजना के।
मालवा का तीर्थ है न्यारा,
मोहनखेड़ा हमारा,
जहाँ बिराजे राजेन्द्र सूरीश्वर,
माँ केशर का प्यारा,
बरसे है गुरु नयनो से,
अमीरस धारा है,
कोई और नही मोहनखेड़ा वाला है।।
गुरु सातम पर भक्तो का यहाँ,
लगता है मेला भारी,
दूर दूर से दर्शन करने,
आते है नर नारी,
करुणा सागर प्यारा गुरुवर न्यारा है,
कोई और नही मोहनखेड़ा वाला है।।
ना मांगु में धन और दौलत,
ना मांगु में माया,
धन्य हुआ है ‘दिलबर’ जीवन,
साथ गुरु का पाया,
हम सब मिलकर महिमा गाये सुन लेना,
कोई और नही मोहनखेड़ा वाला है।।
दादा गुरुवर सारे जहाँ में निराला है,
कोई और नही मोहनखेड़ा वाला है।।
स्वर – प्रियंका जैन।
लेखक – दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
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