सारे जग में धूम मची है,
केवल एक ही नाम की,
खाटू के श्याम की,
खाटू के श्याम की,
यूँ ही नहीं दीवानी दुनिया,
उस जादुई धाम की,
खाटू के श्याम की,
खाटू के श्याम की।।
सारे जग में ना देखा,
कही दरबार ऐसा,
जमी से आसमा तक,
नहीं दातार ऐसा,
बिना ही मांगे भरती,
जहाँ भक्तों की झोली,
जहाँ लाखो की इसने,
बंद तकदीरे खोली,
भाग्य समय भी करे पालना,
इसके हर फरमान की,
खाटू के श्याम की,
खाटू के श्याम की।।
जग से उम्मीदे छोड़ो,
श्याम का द्वार देखो,
करके विश्वास आओ,
फिर चमत्कार देखो,
होगा सच्चा समर्पण,
तो सबकुछ वार देगा,
करेगा फिकर तुम्हारी,
पिता सा प्यार देगा,
जैसे पिता करता है चिंता,
बच्चो के आराम की,
खाटू के श्याम की,
खाटू के श्याम की।।
यहाँ फागुन में देखो,
लगे है अद्भुत मेला,
जहाँ तक नज़र ये जाए,
दिखे भक्तो का रेला,
श्याम के जयकारो से,
गूंजता अम्बर सारा,
नजर में जो बस जाए,
हर तरफ वही नज़ारा,
दूर दूर तक लगी कतारे,
केसरिया निशान की,
खाटू के श्याम की,
खाटू के श्याम की।।
तुम्हारे नाम से ही,
दुनिया आबाद मेरी,
तुम्हारे श्री चरणों में,
यही फरियाद मेरी,
कही भी रहूँ प्रभु मैं,
कही पर भी मैं जाऊं,
रहूँ किसी हाल में पर,
तुम्हारा नाम गाऊं,
जनम जनम ‘सोनू रजनी’ को,
सेवा मिले गुणगान की,
खाटू के श्याम की,
खाटू के श्याम की।।
सारे जग में धूम मची है,
केवल एक ही नाम की,
खाटू के श्याम की,
खाटू के श्याम की,
यूँ ही नहीं दीवानी दुनिया,
उस जादुई धाम की,
खाटू के श्याम की,
खाटू के श्याम की।।
स्वर – रजनी जी राजस्थानी।