अब जाग उठो कमर कसो,
मंजिल की राह बुलाती है,
ललकार रही हमको दुनिया,
भेरी आवाज़ लगाती है,
अब जाग उठों कमर कसो।।
है ध्येय हमारा दूर सही,
पर साहस भी तो क्या कम है,
हमराह अनेको साथी है,
क़दमों में अंगद का दम है,
असुरों की लंका राख करे,
वह आग लगानी आती है।
अब जाग उठों कमर कसो,
मंजिल की राह बुलाती है,
ललकार रही हमको दुनिया,
भेरी आवाज़ लगाती है,
अब जाग उठों कमर कसो।।
पग-पग पर काँटे बिछे हुए,
व्यवहार कुशलता हममें है,
विश्वास विजय का अटल लिए,
निष्ठा कर्मठता हममें है,
विजयी पुरखों की परंपरा,
अनमोल हमारी थाती है।
अब जाग उठों कमर कसो,
मंजिल की राह बुलाती है,
ललकार रही हमको दुनिया,
भेरी आवाज़ लगाती है,
अब जाग उठों कमर कसो।।
हम शेर शिवा के अनुगामी,
राणा प्रताप की आन लिए,
केशव माधव का तेज लिए,
अर्जुन का शरसंधान लिए,
संगठन तन्त्र की व्यूह कला,
वैभव का चित्र सजाती है।
अब जाग उठों कमर कसो,
मंजिल की राह बुलाती है,
ललकार रही हमको दुनिया,
भेरी आवाज़ लगाती है,
अब जाग उठों कमर कसो।।
अब जाग उठो कमर कसो,
मंजिल की राह बुलाती है,
ललकार रही हमको दुनिया,
भेरी आवाज़ लगाती है,
अब जाग उठों कमर कसो।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818