धन्य तुम्हारा गुरुदेव जी,
मुझ पर जो उपकार किया,
मेरी ऊँगली पकड़ के तुमने,
मुझको भव से पार किया,
धन्य तुम्हारा गुरुदेंव जी,
मुझ पर जो उपकार किया।।
तर्ज – रो रो कर फरियाद करा हाँ।
काम क्रोध मद लोभ में फसकर,
मैंने जीवन नर्क किया,
अपनी शरण में लेकर तुमने,
मेरा जीवन फर्ज किया,
पत्थर था पारस की तरह,
तुमने मुझको सवार दिया,
धन्य तुम्हारा गुरुदेंव जी,
मुझ पर जो उपकार किया।।
मेरा हर दुःख सुख में बदला,
केवल आप की रहमत है,
मेरे इस सारे जीवन में,
केवल आप का ही हक़ है,
तुमने मेरे इस जीवन का,
हर सपना साकार किया,
धन्य तुम्हारा गुरुदेंव जी,
मुझ पर जो उपकार किया।।
धर्म अधर्म के मंद को समझा,
सत्य असत्य को जाना है,
आप की किरपा से इस जग के,
सार को भी पहचाना है,
आप ने बच्चो के जीवन को,
जीने का आधार दिया,
धन्य तुम्हारा गुरुदेंव जी,
मुझ पर जो उपकार किया।।
धन्य तुम्हारा गुरुदेव जी,
मुझ पर जो उपकार किया,
मेरी ऊँगली पकड़ के तुमने,
मुझको भव से पार किया,
धन्य तुम्हारा गुरुदेंव जी,
मुझ पर जो उपकार किया।।
Singer – Sanjay Gulati Ji