मनवा खेती करो हरि नाम की,
पैसा ना लागे रुपया ना लागे,
ना लागे कँवड़ी दमड़ी,
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम,
मनवा खेती करों हरि नाम की।।
मन के बैल चहुँ दिशि भटके,
रस्सी लगाओ गुरु ज्ञान की,
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम,
मनवा खेती करों हरि नाम की।।
कहत कबीरा सुनो भाई साधु,
भक्ति करो हरि हर की,
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम,
मनवा खेती करों हरि नाम की।।
मनवा खेती करो हरि नाम की,
पैसा ना लागे रुपया ना लागे,
ना लागे कँवड़ी दमड़ी,
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम,
मनवा खेती करों हरि नाम की।।
स्वर – श्री रघुनाथ जी खण्डलाकर।
प्रेषक – सुर संगम (MK Meena)
9660159589