साधो भाई सतगुरु है व्यापारी,
हीरा मोती बालद भरिया,
और लाल ज्वारी।।
सत्संग हाट कहिजे भारी,
दुकाने न्यारी न्यारी,
सतगुरु होकर सौदा बेचे,
लेवे जो आज्ञा कारी।।
हीरा तो कोई बिरला पाया,
पाया जो अधिकारी,
मायापति के हाथ नही आवे,
पच पच मरग्या गवारी।।
तन मन धन अर्पण करके,
रेवे वचन आधारी,
सोहम शब्द धार निज घट में,
माला है मणीयारी।।
गोकुल स्वामी सतगुरु देवा,
धरिया रूप साकारी,
लादूदास आस गुरु की,
चरण कमल बलिहारी।।
साधो भाई सतगुरु है व्यापारी,
हीरा मोती बालद भरिया,
और लाल ज्वारी।।
गायक – चम्पा लाल प्रजापति।
मालासेरी डूँगरी 89479-15979