चाहे फाँसी लगे या लगे हथकड़ी,
मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ी,
चाहे फांसी लगे या लगे हथकड़ी,
मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ी।।
सखी गोकुल नगरिया को जाउंगी मैं,
प्रेम घर उनके दर पे बनाउंगी मैं,
वहां कीर्तन करूँगी खड़ी की खड़ी,
मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ी,
चाहे फांसी लगे या लगे हथकड़ी,
मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ी।।
तेरी बांकी अदा ने किया बावरे,
तेरे नैनो में घर है मेरा साँवरे,
तेरे नैनो से नैना मिले हर घड़ी,
मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ी,
चाहे फांसी लगे या लगे हथकड़ी,
मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ी।।
मेरी विनती बिहारी जी सुन लीजिए,
अपने चरणों की दासी बना दीजिए,
छोड़ के सारे बंधन शरण में पड़ी,
मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ी,
चाहे फांसी लगे या लगे हथकड़ी,
मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ी।।
चाहे फाँसी लगे या लगे हथकड़ी,
मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ी,
चाहे फांसी लगे या लगे हथकड़ी,
मेरे बांके बिहारी से अंखिया लड़ी।।
स्वर – देवी चित्रलेखा जी।
प्रेषक – शिव कुमार शर्मा
9926347650