हे मोहनखेड़ा महाराजा,
श्री राजेंद्र सूरी गुरुराजा,
गुरु भक्तो में छाई है खुशियां,
बाजे नोबत द्वारे बाजा,
हो. आई सातम की ये रात,
गुरुवर आएँगे,
भक्तो की सुनके पुकार,
वो रुक ना पाएंगे,
हैं मोहनखेड़ा महाराजा।।
तर्ज- तेरी आंख्या को यो काजल।
स्वागत में हम बैठे,
राहो में पलके बिछाए,
माता केशर के नंदन,
आओ भक्त ये तुम्हे बुलाए,
सुनलो ये अर्ज हमारी,
बस एक कमी है तुम्हारी,
गुरुदेव ये तरस रही है,
तेरे दर्श को अंखिया हमारी,
हो. हम दिल से पुकारे,
गुरुवर आपको आना है,
भक्तो की सुनके पुकार,
है दर्श दिखाना है,
हैं मोहनखेड़ा महाराजा।।
गुरु भक्ति का रंग चढ़ा है,
सब झूमे नाचे गाये,
‘महावीर देसाई’ स्वरो से,
गुरुदेव को आज रिझाये,
गुरु भक्तो में आनद छाया,
हर दिल में गुरु समाया,
श्री राजेन्द्र सूरी का ‘दिलबर’,
यश दुनिया में छाया,
हो. आई सातम की ये रात,
गुरुवर आएँगे,
भक्तो की सुनके पुकार,
वो रुक ना पाएंगे,
हैं मोहनखेड़ा महाराजा।।
हे मोहनखेड़ा महाराजा,
श्री राजेंद्र सूरी गुरुराजा,
गुरु भक्तो में छाई है खुशियां,
बाजे नोबत द्वारे बाजा,
हो. आई सातम की ये रात,
गुरुवर आएँगे,
भक्तो की सुनके पुकार,
वो रुक ना पाएंगे,
हैं मोहनखेड़ा महाराजा।।
गायक – महावीर देसाई, सूरत।
लेखक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’
नागदा जक्शन म.प्र.
मो. 9907023365