चालो म्हारा भाईड़ा,
देश परायो छोड़ो रे,
गुरु जी बुलावे अपना देश मे।।
इस देश का लोग लड़ाकू,
दया धर्म है थोड़ो रे,
काल तो आवेला किसी वेष में।।
डाकू आया शहर में,
रेण दिवस करे दोड़ो रे,
दुनिया तो बंध गई पांचों कोस में।।
आशा तृष्णा बढ़ती जावे,
भजन करो दिन थोड़ो रे,
जीवन तो बित्यों पंच क्लेश में।।
काम क्रोध उबा मोर ज्यूँ,
संग पाप को घोड़ो रे,
ध्यान धीरज तो राखो साथ मे।।
गोकुल स्वामी अन्तर्यामी,
संग लादूदास को जोड़ो रे,
सतगुरु जी ले जावे सत्संग रेल में।।
चालो म्हारा भाईड़ा,
देश परायो छोड़ो रे,
गुरु जी बुलावे अपना देश मे।।
गायक – चम्पा लाल प्रजापति।
मालासेरी डूँगरी 89479-15979