हरदम हरी गुण गाता रे दाता,
दोहा – सतगुरु आया है सखी,
और मै कई मनावर करू,
थाल भरू गज मोतीया,
मै निरखत नैन धरू।
हरदम हरी गुण गाता रे दाता,
हरदम हरि गुण गाता रे दाता,
लहर होये जद आता हा।।
ए जल री बून्द रा बनीया पिंजरा,
अरे भई सप्त दिप आकाशा हा,
ए जल री बून्द रा बनीया पिंजरा,
अरे भई सप्त दिप आकाशा हा,
अरे नौ सौ रे नदियाँ चाले नाव सु,
नव सौ रे नदियाँ चाले नाव सु,
ए ज्योरा चार ज्योत परकाशा,
दाता महर होये जद आता हा।।
ए तू मेरा दाता मै तेरा आसक,
ओर वचन जो चाहता हा,
अरे तू मेरा दाता मै तेरा आसक,
ओर वचन जो चाहता हा,
ए भूख प्यास री खबर आपने,
भूख प्यास री खबर आपने,
अरे आप देता मै खाता,
सतगुरु ए महर होये जद आता हा।।
अरे सरसोगत भटी चलाई,
अरे भरीया सुखमन माटा हा,
अरे सरसोगत भटी चलाई,
भरीया सुखमन माटा हा,
अरे पिवत पिवत जनम सुधरीयो,
अरे मतवाला साधु केवाता,
दाता महर होये जद आता हा।।
ए पति नी तोडू पत्थर नही पुजु,
अरे झूठा देव नी मनाता हा,
ए पति नी तोडू पत्थर नही पुजु,
अरे झूठा देव नी मनाता हा,
अरे रोम रोम मे बसे निरंजन,
रोम रोम में बसे निरंजन,
अरे मै तो वही वाट जाता,
दाता महर होये जद आता हा।।
ए अरे भई जोगी नी होवु,
जटा नी बधावु,
अरे वचन पकडीया साचा,
अरे भई जोगी नी होवु जटानी बधावु,
अरे वचन पकडीया साचा,
अरे दोय कर जोड अनुपदास बोले,
दोय कर जोड अनुपदास बोले,
अरे अखण्ड ज्योत मे समाता,
दाता महर होये जद आता हा।।
हरदम हरी गुण गाता रे दाता,
हरदम हरि गुण गाता रे दाता,
लहर होये जद आता हा।।
गायक – संत कन्हैयालाल जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818